सूर्य मंगल के गोचर का समय
13 अप्रैल- सूर्य मेष में(26:33), वैशाख संक्रान्ति, मंगल मिथुन राशि में(25:13),
भारत देश एक कृ्षि प्रधान देश है| हमारे यहा अन्न को देव तुल्य माना जाता है। अन्न के बिना जीवन सम्भव नही है। बैशाखी के आस-पास फसल के रुप में पककर तैयार हो जाना; और त्योहार के रूप मे खुशी जाहिर करना प्रकृ्ति का धन्यवाद करने का भाव है।
इस दिन से हिन्दू सम्वतसर की शुरुआत भी मानी जाती है। देश के विभिन्न भागों में यह त्योहार मनाया जाता है। बंगाल में नववर्ष; बिहार में ‘सतुआ संक्रांति’ या ‘सतुआयी’; मणिपुर में ‘चेरोवा’; तमिलनाडु में ‘चितरार पिरावि’ के नाम से मनाया जाता है।
वैशाख मास का ऎतिहासिक महत्व ये भी है कि ये सिर्फ़ पर्व न होकर; पर्वों का समूह है. सिक्खों के दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म इसी माह में हुआ था।
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृ्ष्टि की रचना इसी दिन की थी; महाराजा विक्रमादित्य के द्वारा श्री विक्रमी संवत का शुभारंभ; भगवान श्री राम का राज्यभिषेक; नवरात्रों का प्रारम्भ
सिंध प्रातं के समाज संत झूलेलाल का जन्म दिवस;आर्य समाज की स्थापना; धर्मराज युधिष्ठर का राजतिलक; महावीर जयंती आदि कई महत्वपूर्ण घटनाएं इस माह से जुडी हुई है।
हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार यह त्योहार मेष संक्रांति एवं वैशाख मास के प्रारंभ होने पर मनाया जाता है। इस दिन से सृष्टि संचालक सूर्य उपनी उच्च राशि मे गोचर करता है।
अत: समस्त शुभ कार्यो की शुरुआत के साथ समस्त हिन्दू सस्कारो के लिये भी यह दिन सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन कार्य करने से सभी दोषो की निवृति स्वत: ही हो जाती है।
इस दिन नये काम की शुरुआत करने के लिये मुहूर्त कराने की जरूरत नही पडती क्योकि ये स्वयम मे सर्वार्थ सिध्द मुहूर्त है।
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सूर्य मंगल का गोचर -2021
सूर्य मंगल के गोचर का मेष राशि में प्रभाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य सदैव मार्गी तथा उदित रहने वाले ग्रह हैं। सूर्य विभिन्न रशियों में गोचर करता हुआ पुन: अपनी उच्च राशि मेष में गोचर करेगा। सूर्य आपके पंचम भाव का स्वामी है।
पंचम भाव से प्रेम; लॉटरी; अकस्मात धन लाभ; पूर्वजन्म; प्रशासकीय क्षमता; विद्या; बुध्दि; मान-सम्मान विवेक; लेखन; मनोरंजन; और सन्तान का विचार किया जाता है।
इस नये सम्बतसर में आपको सन्तान सुख; शिक्षा साक्षात्कार में सफ़लता; नूतन सम्बन्धों में वृध्दि; प्रियजन से पूर्ण सहयोग; प्रशासनिक कार्यों में अभूत्पूर्व तरक्की; और आय के नये स्रोतों की प्राप्ति सम्भव होगी।
आप उच्च मनोबल के साथ कार्यों को अन्जाम दे सकेंगे और समाज में सम्मान की प्राप्ति करेंगे। व्यापार में नई योजनायें बनायेंगे और उन्हें सफ़लता के साथ लागू करके मनवांछित लाभ कमा सकेंगे। सेहत की दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा।
सम्भव हो तो गायत्री मन्त्र– ॐ भूर्भुवस्वः । तत सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात ॥ का यथा शक्ति जाप करें। इससे आन्तरिक शक्ति के साथ मानसिक शान्ति का अनुभव होगा।
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सूर्य मंगल के गोचर का वृषभ राशि में प्रभाव
सूर्य ग्रह राशि चक्र में भ्रमण करता हुआ चतुर्थ भाव का अधिपति होकर द्वादश भाव में गोचर करेगा। चतुर्थ भाव से माता; मकान; पारिवारिक स्थिति; भूमि; वाहन सुख; पैतृक संपत्ति; मातृभूमि; जनता से संबंधित कार्य; पद; गुप्त कोष; सामाजिक; शिक्षण संस्था; कॉलेज; स्कूल; कृषि हेतु जमीन; सर्वसाधारण की प्रसन्नता एवं जनता से संबंधित कार्य एवं स्थानीय राजनीति; जनता के बीच पहचान आदि का विचार किया जाता है।
अन्य ग्रहों की गोचरीय स्थिति से इस दौरान आपको मिश्रित फ़ल की प्राप्ति होगी।
जिसके अन्तर्गत धार्मिक यात्रा;राजनीति या राजनीतिज्ञों से लाभ; भौतिक तथा पैतृक सम्पत्ति से अचानक लाभ-हानि; सामाजिक सम्मान; अनावश्यक अपव्यय; आय के स्रोतों में आंशिक वाधा के बाद मनोनुकूल लाभ की प्रवल सम्भावनायें होगी।
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह यह समय सामन्य रहेगा परन्तु बीच-२ में दूसरों से वैचारिक मतभेद के साथ हल्की फ़ुल्की तनाव की स्थिति पैदा भी हो सकती है।
आपको सलाह दी जाती है कि इस अन्तराल में सुवह या शाम समय निकाल कर सूर्य गायत्री मन्त्र– ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ॥ मंत्र का जाप करना चाहिये। इससे आत्म शक्ति में अपार वृध्दि होगी।
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सूर्य मंगल के गोचर का मिथुन राशि में प्रभाव
हिन्दू वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है। मिथुन राशि के जातको के लिये आत्मा कारक सूर्य पराक्रम भाव का स्वामी होकर आय भाव मे गोचर करेगा।
तीसरे भाव से पराक्रम के अलावा छोटे भाई-बहिन; साहस; मित्रों से संबंध; साझेदारी; संचार-माध्यम; स्वर; संगीत; लेखन कार्य; बंधु-बांधव; पत्र-पत्रिकाएँ; पत्र व्यवहार; आदि के बारे में विचार किया जाता है।
अन्य ग्रहों के गोचर से भी यह प्रतीत होता है कि नये सम्बत सर की शुरुआत में नौकरी व्यापार में लाभ; नई योजना; सम्पत्ति खरीद-फ़रोक्त;उच्च अधिकारियों से सम्मान ;रुके हुये धन की अचानक प्राप्ति और सुख साधनों में वृध्दि सम्भव है
साथ ही शत्रुओं द्वारा निष्फ़ल प्रयास किये जा सकते है। सेहत सुखद अनुभव प्रदान करेगी। आपके लिये ज्योतिषीय सलाह है कि प्रात:काल नहा धोकर सूर्य को नमस्कार करें और अर्घ्य चढायें।
यदि समय मिले तो गायत्री मन्त्र- ॐ भूर्भुवस्वः । तत सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात ॥ का यथा शक्ति जाप करें। इससे उच्च मनोबल के साथ उत्तम विचारो का मन मे उदय होगा।
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सूर्य मंगल के गोचर का कर्क राशि में प्रभाव
राशि चक्र के भ्रमणोपरान्त पुन: मेष राशि में आना कर्क राशि के जातको के लिये शुभ सूचक है क्योंकि धन का स्वामी होकर गुरु के साथ कार्य क्षेत्र में सम्बन्ध बनाना लाभकारक योग है।
द्वितीय भाव से धन के अलावा कुटुंब; वाणी; बचत; सौभाग्य; लाभ-हानि; आभूषण; दृष्टि; स्मरण; शक्ति; कला; सुख; राजस्व; जनसाधारण की आर्थिक दशा; आयात एवं वाणिज्य-व्यवसाय आदि के बारे में भी विचार किया जाता है।
ग्रहों के योग संयोग से ऐसा प्रतीत होता है कि नये सम्बत्सर में नवीन कार्य प्रारंभ होंगे। मान-सम्मान बढ़ेगा। भौतिक सम्पत्ति में इजाफ़ा होगा; कुटुम्ब में नये लोग शामिल हो सकते हैं। जो खुशी का केन्द्र होंगे।
इसके अलावा आय के नये स्रोत बनेंगे; प्रशासनिक सेवा का लाभ मिल सकता है। विशेष सामाजिक सम्मान के साथ पदोन्नति की सम्भावनायें बढ सकती है। स्वास्थ्य के लिये समय उत्तम है।
सूर्य मंगल के गोचर का सिंह राशि में प्रभाव
सिंह राशि के जातको के लिये सूर्य लग्नेश होकर भाग्य स्थान में गोचर करेगा। लग्न भाव से शारीरिक आकृति; स्वभाव; वर्ण चिन्ह; व्यक्तित्व; चरित्र; गुण-अवगुण; प्रारंभिक जीवन विचार; यश; सुख-दुख; नेतृत्व शक्ति; जीवन के संबंध; जनस्वास्थ्य; और मंत्रिमंडल आदि का विचार किया जाता है।
ग्रहों का शुभाशुभ सयोग दर्शाता है कि सम्बतसर की शुरुआत में व्यावहारिक जीवन में बदलाव; अधिकारियों से प्रशंसा; पदोन्नति; नवीन वस्तुओं के साथ-२ घर का नवीनीकरण; सफ़ल साक्षात्कार; अचानक धनागम; शत्रु वर्ग से प्रेरणा के साथ-२ शिक्षा में मनोनुकूल सफ़लता सम्भव है।
इसके अलावा पारिवारिक सहयोग से व्यापार में विशेष लाभ तथा आय में वृद्धि होगी। और राजनीति से जुडे लोगों को सामाजिक सम्मान की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से समय साथ देगा।
आपको चाहिये कि अपने व्यक्तित्व मे और भी निखार लाने के लिये नियमित प्रातः काल सूर्योदय के बाद; पूर्वाभिमुख हो कर सूर्य गायत्री – ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ॥ मंत्र का जाप करे। इसका प्रभाव आपको तत्काल देखने को मिलेगा।
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सूर्य मंगल के गोचर का कन्या राशि में प्रभाव
कन्या राशि के लिये बारहवे भाव का मालिक होकर अष्टम भाव में गोचर करेगा। द्वादश भाव से व्यय; हानि; दंड; गुप्त शत्रु; विदेश यात्रा; त्याग; असफलता; नेत्र पीड़ा; षड्यंत्र; कुटुंब में तनाव; दुर्भाग्य; कारावास; बदनामी; भोग-विलास; ऋण आदि के बारे में विचार किया जाता है।
अन्य ग्रहों का गोचर यह दर्शाता है कि नये सम्बत्सर की शुरुआत में मां लक्ष्मी की कृपा आप पर रहेगी। आय के साथ व्यय बराबर रहेंगे। काम-काज की अधिकता के कारण थकान महसूस होगी।
व्यापार की नई योजना बनेगी। कुछ काम आखिरी निर्णय पर टल भी सकते हैं। धार्मिक कार्यों और समाज सेवा में रुचि जागेगी; अधिकारी वर्ग काम करने के तरीके पर नारजगी जता सकते हैं।
प्रशासनिक कार्यों में किसी का सहयोग लेना पड सकता है। साझेदारी के मामले में पारदर्शिता रखनी होगी। स्वास्थ्य के प्रति घ्यान दिये जाने की सलाह है।
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सूर्य मंगल के गोचर का तुला राशि में प्रभाव
आपके लिये सूर्य आय भाव का प्रतिनिधित्व करता है इस भाव से आय के अलावा मित्र; समाज; आकांक्षाएँ; इच्छापूर्ति; आय; व्यवसाय में उन्नति; ज्येष्ठ भाई; रोग से मुक्ति; वाणिज्य-व्यापार; विदेशो से लाभ; अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि का भी विचार किया जाता है।
नये सम्बत्सर पर ग्रह आपके लिये संकेत कर रहे हैं कि नया अनुभव प्राप्त होगा; कार्य शैली में नयापन आयेगा; ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की होगी; शिक्षा साक्षात्कार में देरी से मगर सफ़लता मिलेगी।
धनागम होगा; मकान वाहन आदि में निवेश की इच्छा बढेगी। कुछ खास सामाजिक कार्यों का शुभारम्भ करने का मौका मिल सकता है।
अविवाहितों के लिये मन पसन्द रिश्तों के साथ मांगलिक कार्यों का आयोजन सम्भव है। इसके अलावा इच्छाये बढेगी और शत्रुओ की गतिविधियों पर नजर रखने की सलाह दी जाती है।
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सूर्य मंगल के गोचर का वृश्चिक राशि में प्रभाव
वृश्चिक राशि के जातको के लिये नये सम्बत्सर में कर्मेश सूर्य उच्च का होकर छठॆ भाव में गोचर कर रहा है। दशम भाव से कर्म के अलावा पिता; राज्य; व्यापार; नौकरी; प्रशासनिक स्तर; मान-सम्मान; सफलता; सार्वजनिक जीवन; विदेश व्यापार; आयात-निर्यात; विद्रोह; पदोन्नति; उत्तरदायित्व; स्थायित्व; उच्च पद; राजनीतिक संबंध; शासकीय सम्मान आदि का विचार किया जाता है।
शुभाशुभ ग्रहो के योग से इस नये सम्बतसर में इनकम के साथ खर्चो में बढोतरी; भविष्य के लिये निवेश योजना; रचनात्मक कार्य शैली मे इजाफ़ा; सम्पत्ति की खरीद-फ़रोक्त; मांगलिक प्रसंग; पैतृक सम्पत्ति की प्राप्ति; नई योजना;प्रियजन से निकटता; नई पहचान; परिश्रम से मन वांछित लाभ और घर में मांगलिक कार्य होने की सम्भावना सम्भावना बनती है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से समय ठीक रहेगा परन्तु क्रोध वाणी और व्यवहार पर खास नियन्त्रण रखने की सलाह दी जाती है क्योकि इनका सम्बन्ध आपकी छवि से है।
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सूर्य मंगल के गोचर का धनु राशि में प्रभाव
सूर्य आपके नवम भाव का स्वामी है। नवम भाव से भाग्य के अलावा धर्म; तीर्थयात्रा; संतान का भाग्य; आध्यात्मिक स्थिति; वैराग्य; आयात-निर्यात; यश; ख्याति; सार्वजनिक जीवन; भाग्योदय; पुनर्जन्म; मंदिर-धर्मशाला निर्माण; नई योजना; विकास ; न्यायालय से संबंधित कार्य आदि का विचार किया जाता है।
शुभाशुभ ग्रहों का योग संयोग इशारा करता है कि सम्बतसर के शुरुआती दौर में व्यवसाय से लाभ; धार्मिक आस्था में वृध्दि; लेन-देन की समस्याओं से छुटकारा; आरोपों से वरी; महत्वपूर्ण उपलब्धि; आगे बढने के नये अवसर; नये वस्त्राभूषणों की खरीददारी; मकान वाहन में निवेश; मित्रों और नये मित्रों से विशेष सहयोग मिलने की सम्भावनायें बनती दिख रही हैं।
स्वास्थ्य के हिसाब से समय ठीक है। फ़िर भी वाहन आदि मशीनों का प्रयोग सावधानी से करें।
गुरु का राशि परिवर्तन बदलेगा आपका भाग्य ! विस्तार से जानें
सूर्य मंगल के गोचर का मकर राशि में प्रभाव
मकर राशि के जातको के लिये सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होकर केन्द्र के चतुर्थ भाव में गोचर करेगा। अष्टम भाव से मृत्यु; मृत्यु का कारण; आयु; स्त्री धन; गुप्त धन; उत्तराधिकारी; स्वयं द्वारा अर्जित मकान; जातक की स्थिति; वियोग; दुर्घटना; सजा; लांछन आदि का विचार किया जाता है।
अन्य ग्रहों के शुभाशुभ योग से इस नये सम्बतसर में आवश्यक बदलाव; कार्यों के शुभ परिणाम; गलतियों का सुधार; बडे अधिकारियों से सम्मान; शिक्षा-साक्षात्कार में लाभ; निजी सम्बन्धों में गलतफ़हमी का निराकरण; व्यापार में ठोस निर्णय; नये अनुबन्ध; नई जिम्मेदारी;
घर में मांगलिक उत्सव; मित्रों का सहयोग और अविवाहितों के लिये मनपसन्द रिश्तें आने के पूर्ण योग बनते दिख रहे है। सेहत के हिसाब से समय साथ देगा। और भी अच्छे और शुभ परिणामों के लिये आपको चाहिये कि यथा सम्भव गायत्री मन्त्र- का जाप करें।
साथ ही जानें इस साल कौन से रंग से होली खेलना रहेगा आपके लिए शुभ ।
सूर्य मंगल के गोचर का कुम्भ राशि में प्रभाव
कुम्भ राशि के जातकों के लिये सूर्य सप्तमेश होकर तीसरे भाव में गोचर करेगा। सप्तम भाव से स्त्री से संबंधित; विवाह; पति-पत्नी; वाणिज्य; क्रय-विक्रय; व्यवहार; साझेदारी; सार्वजनिक; गुप्त रोग; राष्ट्रीय नैतिकता; वैदेशिक संबंध; तथा युद्ध का विचार भी किया जाता है।
इस भाव को मारक भाव भी कहते हैं। अन्य ग्रहों के योग संयोग से कार्य कुशलता में वृद्धि; रूके हुए कार्यों को गति; आत्मबल; पराक्रम और यश में वृद्धि; कार्यो की सम्पन्नता और सफ़लता; नकारात्मक चीजों का त्याग; भविष्य की योजनाओं का ताना-बाना;
नई वस्तुओं की खरीद फ़रोक्त; धनागम; प्रेम प्रसंगो में वृध्दि; व्यापार की नई योजना; घर मे मांगलिक उत्सव; घर में नये मेहमान का शामिल होना; नया अनुभव अर्जित करने के शुभ अवसर; मान सम्मन और प्रतिष्ठा के साथ चल अचल सम्पत्ति की पूर्ण सम्भावनायें दिखती है। सेहत सामान्य रहेगी।
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सूर्य मंगल के गोचर का मीन राशि में प्रभाव
सूर्य आपकी कुण्डली में छठे भाव के स्वामी होकर धन भाव में गोचर कर रहे है। छठे भाव से शत्रु; रोग; ऋण; विघ्न-बाधा; भोजन; अपयश; चोट; घाव; विश्वासघात; असफलता; नौकर; वाद-विवाद; कोर्ट से संबंधित कार्य; सीमा विवाद; आक्रमण; जल-थल सैन्य आदि के बारे में विचार किया जाता है।
अन्य ग्रहों के शुभाशुभ प्रभाव से कानूनी विवादों में उलझन; विरोधियो से मतभेद; सामाजिक कार्यो में व्यस्तता; घरेलू मामलों में बदलाव; अचानक धन प्राप्ति; घर की साज सज्जा; चल-अचल सम्पत्ति की खरीद फ़रोक्त;
प्रशासनिक कार्यों में गति; व्यापार में लाभ आशा से कम; रिश्तेदारों तथा प्रियजन से नजदीकी; कुछ नया करने की इच्छा शक्ति का बढना; बीच-२ में नकारात्मक भाव तथा कर्म अनुष्ठानों में रुचि का बढना सम्भव है। स्वास्थ्य की दृष्टि से समय मध्यम रहेगा।
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