कैसे करें केतु ग्रह की शान्ति – जानें प्रभाव व उपाय

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कैसे करें केतु ग्रह की शान्ति – जानें प्रभाव व उपाय:

कुण्डली के नौ ग्रहों में केतु एक प्रमुख स्थान रखता है, इसे छाया ग्रह भी कहा जाता है । केतु की मूल त्रिकोण राशि मकर है और यह 27 नक्षत्रों में अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी होता है। वैदिक शास्त्र में जहां राहु को मुख कहा गया है वहीं इसे धड़ या पूंछ कहा गया है। केतु ग्रह अज्ञान, निर्णय, अस्थिरता, अपूर्णता, विचारशीलता, तपस्या, नीति का अभाव, आध्यात्मिक खोज और मोक्ष के क्षेत्र को प्रभावित करता है ।

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उच्च या बली केतु का फ़ल:

केतु ग्रह वृश्चिक राशि में निश्चिन्त अंश पर उच्च के होते हैं । जब केतु बली होते हैं तो जातक को आध्यात्मिक ज्ञान, मोक्ष, साधना, ध्यान, तत्त्वज्ञान, वैज्ञानिकता और अद्भुतता के क्षेत्र में सम्पन्नता प्रदान करते हैं । केतु ग्रह का प्रभाव व्यक्ति को नई और अनूठी ज्ञान प्राप्ति में मदद कर सकता है।

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कमजोर या नीच केतु का फ़ल:

केतु ग्रह वृष राशि में निश्चिन्त अंश पर नीच के होते हैं और कमजोर केतु के कारण जातक को मानसिक परेशानी, उलझन, अनिश्चितता, भ्रम, आत्मविश्वास की कमी, आध्यात्मिक खोज में परेशानी आदि का सामना करना पडता है ।

केतु ग्रह की शान्ति और बलवान करने के उपाय:

ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह की शान्ति के लिये निश्चित संख्या या यथासामर्थ्य मन्त्र जाप , दान, स्नान, हवन, जड़ी-बूटी धारण, रत्न धारण करना, औषधि स्नान, व्रत, यन्त्र स्थापना और पूजन आदि का सुझाव दिया गया है ।

• शनिवार को केतु के वैदिक मन्त्र, लौकिक मन्त्र, केतु गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिये ।
• केतु यन्त्र की स्थापना और पूजन करें ।
• लहसुनिया रत्न धारण करना चाहिये ।
• लहसुनिया रत्न का लोकेट बनाकर पहनना चाहिये ।
• शनिवार का व्रत रखना चाहिये ।
• सप्तधान्य, लहसुनिया, लोहा, नारियल, तेल, काला वस्त्र, कंबल, कस्तूरी आदि दान करें
• लोबान, तार्पीन, गजदन्त, कस्तूरी, लाल चन्दन, गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें । 

केतु की शान्ति हेतु मन्त्र:

केतु का वैदिक मंत्र :- ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। सुमुषद्भिरजायथा:।।
केतु का तांत्रिक मंत्र :- ॐ कें केतवे नमः
केतु का बीज मंत्र :- ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः

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