किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह का मजबूत होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि बुध ग्रह बुध्दि के कारक ग्रह हैं और जन्मकुण्डली में बुध ग्रह के कारण कई राज योगों का निर्माण होता है जो जातक को जीवन के सुखों के साथ ऊंचाई के शिखर तक ले जाने में मदद करते हैं । बुध ग्रह मिथुन राशि के अलावा कन्या राशि के भी स्वामी हैं ।
बुध की मूल त्रिकोण राशि कन्या है और रज गुण, वर्ण जाति वैश्य, रंग हरा, उच्च राशि कन्या, नीच राशि मीन, तत्था वाणी के कारक भी माने जाते हैं । 27 नक्षत्रों में बुध्र ग्रह आश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती के स्वामी हैं । बुध ग्रह सूर्य तथा शुक्र से मित्रता का भाव रखता है जबकि मगल, गुरु और शनि से समभाव और चन्द्रमा को शत्रु मानता है ।
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उच्च या बलवान बुध का फ़ल:
बुध ग्रह कन्या राशि में निश्चित अंश पर उच्च के होते हैं और जब ये स्वग्रही होकर केन्द्र में स्थित हों तो पंच महापुरुष योगों में से एक भद्र योग बनाता है जिसे ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। किसी भी जातक की कुण्डली में बलवान बुध जातक को बुध्दिवान और तर्क शक्ति प्रदान करता है ऐसा जातक संवाद और संचार के क्षेत्र में खूब नाम कमाता है।
जातक अपनी वाणी के प्रभाव से सबका ध्यान आकर्षित करता है और स्पष्ट संवाद शैली के चलते सबको मोह लेता है। ऐसा जातक कुशाग्र बुद्धि का तो होता ही है साथ में गणित विषय में तेज और वाणिज्य के क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त करता है । इसके अलावा लेखन कार्य, वकालत, एंकरिग, पत्रकारिता, प्रवक्ता और कथावाचन के क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त कर सकते हैं ।
कमजोर बुध के प्रभाव:
बुध ग्रह मीन राशि में निश्चित अंश में नीच के होते हैं । बुध के नीच और कमजोर होने पर अनुकूल से ठीक विपरीत परिणाम की प्राप्ति होती है । जातक को शारीरिक परेशानी के साथ मानसिक परेशानी में देखा जाता है, वो कहीं पर भी अपनी बात को स्पष्ट तरीके से नहीं रख पाता ।
वाणिज्य के क्षेत्र कमजोर रहता है और व्यापार के क्षेत्र में अपार सफ़लता प्राप्त करने में परेशानी आती है । जहां बोलने में हिचकिचाहट होती है तो वहीं चर्म रोग की समस्या भी देखी जाती है। तन्त्रिका तन्त्र से जुडी समस्याओं का भी सामना करना पडता है ।
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बुध ग्रह की शान्ति और बलवान करने के उपाय:
ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह की शान्ति के लिये निश्चित संख्या या यथासामर्थ्य मन्त्र जाप , दान, स्नान, हवन, जड़ी-बूटी धारण, रत्न धारण करना, औषधि स्नान, व्रत, यन्त्र स्थापना और पूजन आदि का सुझाव दिया गया है ।
- बुधवार को बुध के वैदिक मन्त्र, लौकिक मन्त्र, बुध गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिये ।
- गण्पति भगवान को हरी दुर्वा चढानी चाहिये ।
- बुध यन्त्र की स्थापना और पूजन करें ।
- नित्य या बुधवार को गणपत्रि स्तोत्र का पाठ करना चाहिये ।
- पन्ना रत्न धारण करना चाहिये ।
- पन्ने का लोकेट बनाकर पहनना चाहिये।
- बुधवार के व्रत रखना चाहिये ।
- साबुत मूंग दाल, चीनी, इलायची, हरी सब्जियां और फ़ल, पन्ना , कांस्य पात्र आदि दान करें
- हरे रंग का अधिक इस्तेमाल करें ।
- चावल, गोबर, मोती, शहद, सुवर्ण, जायफ़ल, पिपरामूल, नागकेशर, गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें ।
बुध ग्रह की शान्ति हेतु मन्त्र:
पौराणिक मंत्र:
प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणांप्रतिमं बुधम्।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥
वैदिक मन्त्र:
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।
गायत्री मंत्र:
ॐ सौम्यरुपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नो सौम्य प्रचोदयात् ।।
तांत्रिक मंत्र:
ॐ बुं बुधाय नमः
बीज मन्त्र:
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
बुध का नाम मंत्र:
ऊँ बुं बुधाय नम:।
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डॉ वेदप्रकाश ध्यानी
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